अक्सर लोग उपदेश भी बेमन से सुनते हैं और क़ानून की पाबंदी भी फ़िज़ूल समझते हैं। इस तरह अनुशासन और संयम से हीन लोगों की भीड़ वुजूद में आ जाती है जो ख़ुद तो अपने हक़ से ज़्यादा पाना चाहते हैं और दूसरों को उनका जायज़ हक़ तक नहीं देना चाहते। इस तरह समस्याएं जन्म लेती हैं और इनका कारण पिछले जन्म के पाप नहीं बल्कि इसी जन्म की अनुशासनहीनता होती है।
इंसान के अंदर डर और लालच, ये दो प्रवृत्तियां होती हैं। ईश्वर में विश्वास और धर्म के पालन से इनमें संतुलन बना रहता है लेकिन ठगों ने ईश्वर के आदेश छिपा कर अपने उपदेश समाज में फैला दिए और इसका नतीजा यह हुआ कि धर्म का लोप हो गया और ईश्वर और धार्मिक परंपराओं के नाम पर लूट और अत्याचार का बाज़ार गर्म हो गया, किसी एक देश में नहीं बल्कि सारी दुनिया में। बुद्धिजीवियों ने यह देखा तो उनका विश्वास धर्म से उठ गया और उन्होंने ईश्वर और आत्मा के अस्तित्व को ही नकार दिया। अतः पढ़े लिखे लोगों में यह धारणा बन गई कि ईश्वर है ही नहीं तो ईनाम या सज़ा कौन देगा ?
और जब आत्मा ही नहीं है तो फिर ईनाम या सज़ा का मज़ा भोगेगा कौन ?
इसके बाद तार्किक परिणति यही होनी थी कि दुनिया में ज़ुल्म का बाज़ार गर्म हो जाए और यही हुआ भी । पढ़े-लिखे और समझदार (?) अर्थात नास्तिक लोगों का मक़सद केवल प्रकृति पर विजय पाकर ऐश का सामान इकठ्ठा करना ही रह गया।
ईश्वर और धर्म का इन्कार करने वालों ने दुनिया को बर्बाद करके रख दिया और इन लोगों का विश्वास जिन ठगों ने हिलाया है वे मानवता के इससे भी ज़्यादा मुजरिम हैं।
मंदिर या मस्जिद में जाने से ही आदमी धार्मिक नहीं बन जाता। ये धार्मिक कर्मकांड तो रावण और यज़ीद दोनों ही करते थे। आदमी का धर्म उसके आचरण से प्रकट होता है। धर्म के लक्षण हरेक भाषा की किताब में लिखे हुए हैं और वे सत्य, न्याय , उपकार और क्षमा आदि हैं कि अगर इन्हें अपना लिया जाए तो आदमी की मेंटलिटी क्राइम फ़्री हो जाएगी। मानने वाले लोग पहले भी ईश्वर की कृपा पाने के लिए ही उसकी व्यवस्था का पालन करते थे और आज भी करते हैं। संविधान का पालन ख़ुद ब ख़ुद ही हो जाता है।
ये सिक्के आज भी चल रहे हैं। अपनी वासनाओं में डूबे हुए लोगों का अपनी मुसीबत में ईश्वर-अल्लाह को याद करना इसी का प्रमाण है।
इसी बात को आप नीचे दिए गए लिंक पर भी देख सकते हैं :
आदमी का धर्म उसके आचरण से प्रकट होता है
1- http://www.amankapaigham.com/2011/07/blog-post_11.html?showComment=1310397703955#c4491598195124013322
2 comments:
बिलकुल सही कहा है!
आदमी का धर्म उसके आचरण से प्रकट होता है!
आपकी बातों से सहमत।
लोग जब सुखी होते हैं तो ईश्वर को याद नहीं करते पर जब तकलीफ में रहते हैं तो मदद की आस ईश्वर से ही करते हैं।
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