मेरे प्यारे दोस्तो और विरोधियो ! आज का दिन ‘हमारी वाणी‘ के इतिहास में एक यादगार दिन है। आज का दिन हिंदी ब्लागर्स के लिए भी एक प्रेरणा देने वाला दिन है। आज के दिन आपके भाई अनवर जमाल की 7 पोस्ट्स ‘हमारी वाणी‘ के हॉट बोर्ड पर दिखाई जा रही हैं। इनमें से एक पोस्ट एक समाचार पत्र में भी छप चुकी है जिसका तज़्करा ‘ब्लाग्स इन मीडिया‘ नामक वेबसाइट में भी किया गया और उसे भी ‘हमारी वाणी‘ ने अपने बोर्ड पर जगह दी है। इसके अलावा जनाब डा. पवन कुमार मिश्रा जी ने एक पूरी पोस्ट भी मुझे संबोधित करके ही लिखी है और भाई लोगों में उसे पढ़ने की इतनी ज़्यादा होड़ मची कि ‘हमारी वाणी‘ पर उसके पब्लिश होते ही वह चंद ही मिनटों में हॉट का रूतबा पा गई। लखनऊ ब्लागर्स एसोसिएशन पर भी हमारे सरसों के फूल देखने के लिए बड़े-बड़े ब्लागर्स आए और वंदना जी भी आईं। जिनकी समझ में वह पोस्ट आई, उन्होंने तो उसे सराहा लेकिन जिनकी समझ में वह न आई वे वहां चक्कर खाते देखे गए। कोई तो समझाने से मान गया और कोई समझाने से भी न माना कि यह पोस्ट अपने अंदर उनकी समझदानी के तंग दायरे से अधिक विस्तार रखती है।
एक दो साहब ने हमें समझाया कि देखो कविता में यह होता है और कविता में वह होता है।
अरे हम कहते हैं कि अभी तुमने शायरी और कविता देखी ही कहां है ?
जिस दिन तुम कविता और शायरी की आत्मा को देख लोगे तो वह तुम्हारी बुद्धि से ठीक ऐसे ही परे होगी जैसे कि खुद तुम्हारी आत्मा तुम्हारी बुद्धि के परे है।
डा. श्याम गुप्ता जी हस्बे आदत अपने ऐतराज़ात से बाज़ नहीं आ रहे हैं। उन्हें समझाया तो कहते हैं कि
‘हमको मालूम है जन्नत की हक़ीक़त लेकिन‘
हम कहते हैं कि जिसे खुद अपनी हक़ीक़त ही मालूम न हो, उसे जन्नत की हक़ीक़त क्या मालूम होगी ?
जिसे उर्दू का ही पता न हो तो उसे उर्दू की शायरी का इल्म क्या होगा ?
उर्दू के ज्ञान का हरेक दावेदार आज अपने ज्ञान को और शायरी की समझ को आज़मा सकता है।
इसके लिए आप देखिए मेरे ब्लाग ‘मन की दुनिया पर मेरी एक ख़ास पेशकश।
बहरहाल आज का दिन एक यादगार दिन है और जो कोई मुझसे कुछ सीखना चाहे, सीख सकता है और जो कोई प्रेरणा लेना चाहे वह प्रेरणा ले सकता है।
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